Wednesday, 28 December 2011

आँखें.......

कुछ तो कम कर दे यह वक़्त इंतज़ार का,
की तेरे दीदार को गयी हैं मेरी आँखें,

आखिर कब तुझे अपनी आँखों में देखूं आईने के सामने,
तड़प रहीं हैं तुझे सामने देखने को मेरी आँखें,

ना जाने सुकून की नींद कबसे नहीं ली मैंने,
एक अरसे से सूजी हुई है मेरी आँखें,

है हर ख़ुशी हर दोस्त मेरे आस पास,
पर फिर भी तेरा ही ख्वाब बुनती हैं मेरी आँखें,

अब और नहीं होता यह इंतज़ार मुझसे,
की तेरी याद में भर आयीं मेरी आँखें,

दो पल के लिए आ लेकिन तू मिलने आ,
की तुझे देख फिर से चमक उठे मेरी आँखें......

Tuesday, 27 December 2011

तुझको बेवफाई के सारे हुनर आते हैं.....

रात के साथ दर्द हज़ार आते हैं,
तेरे साथ गुजरे पल याद आते हैं,

वो किस्से जो सिर्फ हमको मालूम थे,
अब वो ज़माने की जुबां पर आते हैं,

नुमाइश तुने की मोह्हबत की ज़माने में,
तुझको बेवफाई के सारे हुनर आते हैं,

क्यों यह तन्हाई है बेइन्ताह मोह्हबत के बाद भी,
अश्कों पर लिखे यह सवाल बार बार आते हैं,

कुछ इस तरह से उजाड़ी दिल की बस्ती तुने,
जैसे ख़ामोशी के साये में छुपे तूफ़ान आते हैं.......

Monday, 26 December 2011

आखिर में तुझसे बेपानाह प्यार जो करता हूँ......

सेहर हो या शाम में तुझे ही याद करता हूँ,
में तन्हाई से सिर्फ तुम्हारी ही बात करता हूँ,

लबों पर आते आते क्यों रुक गयी दिल की बात,
दिल से यह सवाल बार बार करता हूँ,

आखिर क्यों न समझ सका तू मेरी खामोश जुबां,
में तुझको नहीं अपनी नजरो को गुन्हेगार करता हूँ,

जुल्म मोह्हबत एकतरफा करने का है,
में खुद के लिए सजा ए तन्हाई मुक़र्रर करता हूँ,

तेरे सिवा कोई और चाहत नहीं इस कायनात में मेरी,
अब तू नहीं, तो में मौत की दावत आज करता हूँ,

दुआ है मेरी तू खुश रहे, चाहे किसी और की बाँहों में,
आखिर में तुझसे बेपानाह प्यार जो करता हूँ...... 

Tuesday, 20 December 2011

"शायरी".

खामोश जुबां की अलफ़ाज़ है शायरी,
बिछड़ी मोह्हबत की याद है शायरी,

आँखों में छुपा अश्क है शायरी,
आशिक के दिल का दर्द है शायरी,

नाकाम इश्क की धड़कन है शायरी,
बेवफा को बावफा कहने का नाम है शायरी,

टूटे दिल के जख्म की मरहम है शायरी,
निक्कमे दिल का काम है शायरी,

आवारा जिस्म की रूह है शायरी,
सनम के सितम का जवाब है शायरी,

पाक मोह्हबत की किताब है शायरी,
दास्ताँ ए मोह्हबत का आखिरी पन्ना है शायरी,

अलफ़ाज़ ए मोह्हबत की रूह है शायरी,
जज्बातों का हुजूम है शायरी....

पूरी कायनात में तुझसे खूबसूरत कुछ भी नहीं.......

ना आसमान ना सितारे और ना यह चाँद,
पूरी कायनात में तुझसे खूबसूरत कुछ भी नहीं,

महकाने की बात करूँ या करूँ शराब की,
जो सुरूर तेरी आँखों में है, वो सुरूर कहीं भी नहीं,

पायल की रुनझुन हो या फिर कंगन की खनक,
जो मोह्हबत तेरी ख़ामोशी में है, वो कहीं भी नहीं, 

अंदाज़ ए हूर हो या फिर नूर ए चाँद,
जो सादगी तेरे चेहरे में है वो कहीं भी नहीं,

काली सी घनी रात हो या फिर कोई चांदनी रात,
तेरी जुल्फों के सायें से खूबसूरत कुछ भी नहीं,

बहारों का मौसम हो या फिर किसी कलि का खिलना,
तेरे लहजे से मासूम इस जहाँ में कुछ भी नहीं.......




Sunday, 18 December 2011

ज़रा तुम मोह्हबत निगाहों से ही करना.......

नयी नयी सी मोह्हबत है दिलों में अभी,
अपने अल्फाजों को थोडा लगाम देना,

कब कहाँ किसका दिल बदल जाये मोह्हबत में,
हो सके तो अपनी जुबां खामोश रखना,

टूटता है दिल जब अल्फाजों से तो, जुड़ता नहीं आसानी से,
ज़रा तुम मोह्हबत निगाहों से ही करना,

कभी कभी झूठ भी कह जाते हैं यह अलफ़ाज़,
तुम गुफ्तगू भी निगाहों से ही करना,

अक्सर बहक जाते हैं लोग महकाने जाके,
सुनो, तुम नशा भी मेरी आँखों से ही करना,

लिखी जाएगी हमारी भी दास्तान ए मोह्हबत किताबों में,
फ़क़त(सिर्फ) तुम कभी यह लब हिलाने की तक्कल्लुफ़  न करना.......   

Friday, 9 December 2011

रोने से बेवफा सनम लौट कर आता नहीं....

दीदार ए यार का नशा उतरता नहीं,
और वक़्त उन्हें हमसे मिलने का मिलता नहीं,

बहुत मशरूफ हैं वो अपनी महफिलों में,
की अब तनहा खड़ा "अंकित" उन्हें दीखता नहीं,

उसको होती अगर तेरी फिकर ज़रा भी,
तू तुझे यूँ रोता देख वो मुस्कुराता नहीं,

खता तुने ही की अपनी मोह्हबत में,
हद से ज्यादा न चाहता तो वो बेवफा होता नहीं,

लाख समझाया तुझे लेकिन तू न माना,
की हर खूबसूरत चेहरा वफादार होता नहीं,

अब आंसूं पोंछ और मुस्कुरा उसे देखकर,
रोने से बेवफा सनम लौट कर आता नहीं....

Thursday, 8 December 2011

तू ही तू तू ही तू.....

दर्पण दर्पण पूछ रहा है, मुझसे अब मेरा वजूद,
उसको कैसे समझाऊँ में, मेरे नस नस में है तू,
भूल गया में खुद को जबसे, चाहा है मैंने तुझको,
धड़कन से लेकर आँखों तक, बस तू ही तू तू ही तू,

चल पड़ा हूँ उस रास्ते,जिसकी न कोई मंजिल है,
किसको मोह्हबत में हासिल, हुई बोलो ख़ुशी है,
कैसे दिखलाऊँ में तुझको रंग अपनी चाहत का,
मेरे रग रग में तो है, बस तू ही तू तू ही तू,

सजदे किये लाखों मैंने मंदिर मस्जिद जा जाके,
लौट आया लेकिन खाली हाथ रोते गाते,
जबसे तुझको पूजा मैंने, हर ख़ुशी हासिल हुई,
अब से मेरा खुदा है, बस तू ही तू तू ही तू.....

Sunday, 27 November 2011

ज़रा एक तस्वीर तुम्हारी देते जाओ....

जाते हो सनम तुम, बेशक जाओ,
पर लौट के आने का वक़्त बतलाते जाओ,

न जाने फिर कब मौका मिले मिलने का हमें,
ज़रा एक तस्वीर तुम्हारी देते जाओ,

तेरी कलाई मुझे यूँ सूनी अच्छी नहीं लगती,
जो कंगन खरीदे थे साथ वो पेहेनते  जाओ,

न जाने किस राह पर मिल जाएँ बुरी नजर वाले,
अपने रुखसार पर काजल लगाते जाओ,

कोई और न देखे तुम्हे मोह्हबत से, मेरे सिवा,
तुम जुल्फों को अपनी बांधते जाओ,

बहुत दिलफरेब होती है यह नजरे,
तुम अपनी  निघाओं को झुखाते जाओ,

डर सताएगा मुझको तेरी खेरियत का हमेशा,
हिफाज़त के लिए मेरे नाम का सिन्दूर लगाते जाओ.....

Monday, 14 November 2011

ए आवारा देख यह क्या हो गया...

ए आवारा देख यह क्या हो गया,
जिसे तुने छोड़ा था तनहा, वो किसी और का हो गया,

जिसका जिस्म तुझे नजर आता था खिलौना,
वो किसी की इबादत का घर बन गया,

जिसकी आँखों के आंसूं लगते थे तुझे पानी,
उन मोतियों का अब कोई सागर हो गया,

जिसके होंठों से चीन ली थी तुने मुस्कराहट,
अब वो तुझपे हसने के काबिल हो गया,

जिसके दामन में तुने उछाले थे कई दाग,
आज वो दामन सबसे पाक हो गया,

जिसके चेहरे पर तुने दिए थे कई निशाँ,
देख आज वो चेहरा चाँद सा खूबसूरत हो गया,

सच्ची मोह्हबत का ही करम है उसपर,
की वो आबाद और तू बर्बाद हो गया.....

Sunday, 6 November 2011

न जाने क्या जादू था उनकी आँखों में.....

फितरत ए मोह्हबत बदल न पाए,
दिल्लगी को हम रोक न पाए,

खुद को लाख संभाला, पर संभल न पाए,
उनके इज़हार ए मोह्हबत पर इनकार कर न पाए,

न जाने क्या जादू था उनकी आँखों में,
की उनकी आँखों से नजरे हटा न पाए,

गुनाह ए इश्क, फिर कर बेठे हम,
यारों हम सुधर न पाए,

अब इश्क किया है, तो उसे निभाएंगे भी,
फिर क्यों न चाहे यह  ज़माना ही रूठ जाये.....

Wednesday, 2 November 2011

कर रहें है वो गुफ्तगू हमसे, मुस्कुराने दो अभी.....

मुकाम अपना भी होगा, ढूँढेंगे कभी,
बेठे हैं सजदे मैं सर झुकाए अभी,

हिज्र का दर्द क्या है, सोचेंगे कभी,
वो सामने हैं, करने दो सूकून से उनका दीदार अभी,

जो बात हमको कहनी है, वो बोलेंगे कभी,
गुलशन है उनकी आवाज से यह दिल, सुनने दो अभी,

कैसा होता है चमकता सितारा, देखेंगे कभी,
बेठा है चाँद हमारे सामने, निहारने दो अभी,

बहुत दर्द है इस दिल में, मगर रोयेंगे कभी,
कर रहें है वो गुफ्तगू हमसे, मुस्कुराने दो अभी.....

Monday, 31 October 2011

ख़ामोशी....

अबके यूँ हुआ तो जान जाएगी,
तुम्हारी ख़ामोशी हमें मार जाएगी,

कुछ तो कहो, चाहे काफिर ही सही,
इतना रहम करो, और तोड़ दो यह ख़ामोशी,

देखो की जलसा खड़ा हुआ है बहार आशिकों का,
क़यामत ढा रही है तुम्हारी ख़ामोशी,

थक गया हूँ तुम्हारी निगाहों से बात करते करते,
अब हमको अच्छी नहीं लगती यह ख़ामोशी,

कई साल बीत गए की खुल के बारिश नहीं हुई,
तुम बोलो तो बरसात भी हो जाये, इसी बहाने तोड़ो ख़ामोशी,

भूल गए हैं अपना नाम भी अब हम,
याद दिलाओ, यह होंठ हिलाओ, और तोड़ो ख़ामोशी,

तुम्हारा हुस्न भी रूठा रूठा नजर आ रहा है तुमसे,
की अब तुम पर जचती नहीं है यह ख़ामोशी.....

Friday, 28 October 2011

बातें करते करते उनसे मोह्हबत हो गयी.....

पहली मुलाकात में यह बात हो गयी,
बातें करते करते उनसे मोह्हबत हो गयी,

इतना प्यारा चेहरा था की हमसे गुस्ताखी हो गयी,
पहली दफा किसी को दोस्ती से पहले मोह्हबत हो गयी,

नजरे उठी उठकर झुकी,अदा उनकी भी दिलनशी हो गयी,
सिर्फ मुझे उनसे ही नहीं, उन्हें भी मुझसे मोह्हबत हो गयी,

बारिश हुई बिन मौसम के तो यह रजा हो गयी,
खुदा को भी मेरी मोह्हबत से मोह्हबत हो गयी,

आखिर किस सोच में बेठे बेठे लिखदी तुने यह "शायरी" "अंकित",
एक बार तो कर बेठे हो जिंदगी तबहा, क्या फिर से तबाही की इजाजत हो गयी....

Thursday, 27 October 2011

जिस शख्स से दिल लगाया वो इन अश्कों के काबिल न था.....

मोह्हबत की है तो  आंसुओं से तो खेलना ही था,
लेकिन, जिस शख्स से दिल लगाया वो इन अश्कों के काबिल न था,

बेबाक हो गए हम सारे ज़माने के सामने उसकी खातिर,
हमारी इस फितरत से उसे तो पाक होना ही था,

इतना भी ग़म सहना ठीक नहीं "अंकित",
कुछ गमो का भागिदार तो वो भी था,

ज़मीन से आसमान तक हिला दिया दुआओं से अपनी,
लेकिन वो रकीब था उसे हबीब होना ही न था,

चला गया था मेरा शहर छोड़ के, एक वक़्त बाद वापिस लौट आया,
वो बेवफा था उसे तनहा तो होना ही था,

अगर ना निकलता तू खामियां मुझमे किसी के कहने से,
तो तुझे यूँ तनहा कभी न होना था,

अब मुझे तेरी मोह्हबत की जरुरत नहीं,
मेरा दिल पाक था, मुझे किसी और का तो होना ही था.....

Monday, 24 October 2011

गरीब माँ की दिवाली....

दिवाली है आने वाली, में बच्चो को कैसे समझाऊँगी, 
जब वो मांगेंगे नए कपडे , में उन्हें क्या कहकर बेहलाऊँगी,
वो नादाँ है उन्हें घर की हालत कैसे समझाऊँगी,
जब वो रोयेंगे पटाके के लिए, तो उन्हें किस बात से बेहलाऊँगी,

पैसे नहीं है तो कपडे कहाँ से लाऊंगी,
रूखा सूखा खाने वालो को, मैं मिठाई कैसे खिलाऊँगी ,
दिया जलने को तरस जाती हूँ, मैं अपना घर कैसे जग्मगाऊँगी,
जब देखेंगे बच्चे दुकानों पर मिठाइयाँ, तो वहां से उन्हें कैसे हटाउंगी,
आंसूं तो निकलेंगे मेरे उन मासूमो को देखकर,पर किस तरह में अपने आंसूं छुपआउंगी,
पिछली बार तो बहला लिया था उन्हें अगली दिवाली का बहाना बनाकर,
अबके बार क्या बहाना बनूंगी,

जब फूटेंगे पटाके हर घर के बहार, तो उनके कान कैसे बंद कर पाऊँगी,
जब देखेंगे वो सबके बदन पर नए कपडे,में उनकी आँखों को कैसे बंद कर पाऊँगी,

यह दिवाली भी पिछली दिवाली की तरह बीत जाएगी,
में उन्हें दिलासा देकर रूखा सूखा खिलाकर उनको सुलाकर,
अपनी तकदीर पर आंसूं बहाऊंगी.....


Sunday, 23 October 2011

इंतज़ार...

इंतज़ार तुझे पाने का,
इंतज़ार तेरे नाम के साथ मेरा नाम सुने जाने का,
न जाने इस इंतज़ार की इन्तहा कहाँ है,
इब्तेदा तो तेरे मेरे पहले मिलन से हुई थी,

इंतज़ार तुझे अपनी बाहों में भर लेने का,
इंतज़ार तेरी जुल्फों में छुप जाने का,
इंतज़ार तेरी सुरीली आँखों में खो जाने का,
इंतज़ार तेरे चेहेरे को चूमने का,
यह इंतज़ार न जाने कब ख़तम होगा,
तेरा मेरा मिलन न जाने अब कब होगा,

इंतज़ार तुझे अपनी दुल्हन बनाने का,
इंतज़ार तेरे सुर्ख होंठों से शबनम चुराने का,
इंतज़ार तेरी रूह को पाने का,
इंतज़ार तेरी रूह को पके, उसकी इबादत करने का,
इस इंतज़ार की शमा को आके अब बुझा दे,
अबके बरस तू मुझे अपनी माँग का सिन्दूर बना ले....

Friday, 21 October 2011

वो परिंदा था उसका कोई एक आशियाना ही न था...

शिकवा या शिकायत आखिर करते तो क्या करते उससे,
उसने तो मुझे कभी अपना बनाया ही न था,

नजरे दूर तलक जाके तनहा लौट आती थी,
वो परिंदा था उसका कोई एक आशियाना ही न था,

बहुत मुददतों  बाद दिल ने समझा,
जो तेरी चाहत थी, उसने तो तुझे कभी गौर से देखा भी न था,

यह तो दस्तूर है मोह्हबत का अंकित,
की जिसको चाह है दिल से, उसे कभी अपना होना ही न था.......

Wednesday, 28 September 2011

मेरी जिंदगी.....

बहुत खामियां निकालते है लोग मेरी जिंदगी में,
पर कभी कोई शख्स उन खामियों की वजह नहीं तलाशता,

हर एक शख्स ठेराता है मुझे ही गुनेघार,
पर कोई अपना गिरेबान झाककर नहीं देखता,

मैं हसूँ तो लाखो सवाल उठ जाते हैं,
पर मैं रोता हूँ तो कोई मेरे आंसूं पोछने भी नहीं आता,

मेरी मोह्हबत मेरे आंसुओं का मजाक बना देते हैं सब,
पर कोई मेरे दिल ए पाक नहीं समझता,

मेरी जिंदगी ने भी मुझे एक खिलोने सा बना दिया,
जो चाहता है वो तोड़ता है, जो चाहता है वो जोड़ता है,
पर मुझसे कभी कोई मेरे दर्द की इन्तहा नहीं पूछता....


Monday, 19 September 2011

कोई तो रोको, उसे दुल्हन बनाया जा रहा है....

कोई तो रोको, उसे दुल्हन बनाया जा रहा है,
मेरी जान के हाथों में मेहँदी का रंग सजाया जा रहा है,

जिसकी डोली उठ के आनी थी मेरे घर,
उसे मेरी आँखों के सामने किसी और को सोंपा जा रहा है,

जिसने देखे थे सपने मेरे संग मोह्हबत भरे,
उसे अब एक कोरा कागज बनाया जा रहा है,
अपनी इज्ज़त की दलील देकर उसकी जुबां खामोश कर दी उसके माँ बाप ने,
मुझको मौत की सजा और उसको जिंदा लाश बनाया जा रहा है,

न जाने किस बात पर आंसूं बहा रहें हैं सब,
उसे खुशियों का नहीं बल्कि  गमो का बाज़ार सोंपा जा रहा है,

उसकी भी विदाई है और मेरी भी,
फर्क सिर्फ इतना है की उसे डोली में और मुझे जनाज़े पर ले जाया जा रहा है....

Tuesday, 13 September 2011

मुझसे रूठा नहीं जाता....

कौन कहता है की वो मुझे अपना चेहरा नहीं दिखाता,
चाँद छुपा है अभी  बादलों में अहिस्ता अहिस्ता है नजर आता,

कैसे कह सकते हो की वो खुश है मेरे बगैर,
काजल तो उसका है अक्सर फैला नजर आता,

वैसे तो वो मुस्कुराता है अपने दोस्तों के साथ होकर,
पर उसका दर्द मेरे अलावा कोई और नहीं है समझ पता,

मेरे दर्द की दवा है सिर्फ उसके पास,
पर उसको मेरा यूँ घुट घुट के मरना नहीं है नजर आता,

माना की उसे नहीं है मुझसे मोह्हबत,
पर इतनी सी बात पर मुझसे उससे रूठा नहीं जाता....

Monday, 12 September 2011

एक दिन तुझे भी मुझसे मोह्हबत हो जाएगी.....

एक दिन ऐसा भी आयेगा की तुझे भी मुझसे मोह्हबत हो जाएगी,
जिंदगी तेरी और मेरी और भी खूबसूरत हो जाएगी,
तू एक ख़त में मुझको मेरी मोह्हबत का जवाब अपनी "हाँ" में लिख भेजेगी,
उस दिन कायनात और भी खूबसूरत हो जाएगी..

मंजूर करेगा खुदा भी तेरे मेरे रिश्ते को,
उस दिन एक जोड़ी आसमान से नही,
बलकी ज़मीन पर मिलकर बन जाएगी,

वक़्त के पहियों में ताला लग जायेगा,
सारा जहाँ तेरी मेरी मोह्हबत को देखने के  लिए रुक जायेगा....
मेरी जिंदगी गमगीन न होकर एक खुशनुमा चमन सी महक जाएगी,
जिस दिन तू मेरा नाम अपनी लबों से पुकारेगी,


मुझको मालूम है की जितनी नफरत से तुने नाकारा था मेरी मोह्हबत को,
तू दुगनी शिद्द्त से मेरी मोह्हबत को अब अपनाएगी,
और मुझमे खामियां न तलाश कर,
सिर्फ मेरी मोह्हबत की मिसाल दुनिया को सुनाएगी.....

Tuesday, 6 September 2011

आँसुं (रो लेने दो आज मुझे)..........

कोई ना रोको आज मुझे कह लेने दो,
जितने भी आँसुं छुपाये बेठा हूँ सब बह जाने दो,

मेरी पलकें अब नहीं सह पाती है मेरे आंसुओं का बोझ,
उसकी याद में मुझे अब जी भर के रो लेने दो,

कब से छुपाये बेठा हूँ उसके दर्द को अपनी आँखों में,
मेरी मोह्हबत की दास्ताँ अब, मेरे आंसुओं को कह लेने दो,

उसकी जिंदगी पर तो मेरा हक अब कुछ भी नहीं,
उसकी तस्वीर को तो अब मेरे आंसुओं से भिगो लेने दो,

वक़्त बेवक्त चली आती है उसकी याद,
उसकी यादों का सिलसिला अब खत्म करने दो,
मेरी आँख का आंसूं अब सूखने दो,

थक गया हूँ में अब उसका इंतज़ार करते करते,
अब मुझे दो पल चैन से जी लेने दो,

मुझे मालूम है उसपर कोई फर्क नहीं पड़ता मेरे आंसुओं का,
ए दोस्त उसको भी खुश रहने दो , और मुझे भी चैन से रो लेने दो............

Saturday, 3 September 2011

आलम-ए-तन्हाई.........

तुम अभी यहीं थे, अभी अभी चले गए,
दिल को कुछ ऐसी झूठी तस्सली देनी पड़ती है धड़कने के लिए,

ऐसे ऐसे मंजर नजर आते हैं बीते कल के,
की निगाहें छुपानी पड़ती है आंसूं छुपाने के लिए,

ज़रा दो कदम हमारे साथ चल दिए होते,
जन्नत नसीब हो जाती हमें उम्र भर के लिए,

बिखर गयी जिंदगी मेरी ताश के पत्तो की तरह,
एक रहगुजर चाहिए अब उसे समेटने के लिए,

मुझको तो खुदा ने बनाया है रेत मानिंद सा,
एक पत्थर दिल चहिये तुझ जैसा, दिलों को तोड़ने के लिए,

तुम आओगे, तुम आ सकते हो, पर तुम आना नहीं चाहते,
आखिर एक बेवफा भी तो होना चाहिये दुनिया में, बेवफाई जिंदा रखने के लिए............

Monday, 29 August 2011

निशानी पहली मोह्हबत की....

यह जो तुम हर वक़्त बात करते हो परिंदों की,
यह निशानी होती है पहली मोह्हबत की,

यह जो हर बार मिसाल देते हो दर्द की तुम अपनी गुफ्तगू में,
यह निशानी होती है पहली मोह्हबत की,

यह जो तुम्हारे लहजे में तक्कलुफ्फ़ और गुस्ताखी नजर आ रही है,
यह निशानी होती है पहली मोह्हबत की,

यह जो तुम निकलते हो मेरी ज़ात में खामियां अक्सर,
यह निशानी होती है पहली मोह्हबत ,

यह जो तुम अक्सर भूल जाते हो चीज़ें रखकर,
यह निशानी होती है पहली मोह्हबत की,

पहली मोह्हबत का खुमार सर से इतनी जल्दी नहीं उतरता,
यह निशानी होती है सच्ची मोह्हबत की...........

Saturday, 20 August 2011

मोह्हबत बयां कर रहा हूँ मैं...

साफ़ लफ्जों में कह दिया उसने, की मुझे तुमसे मोह्हबत नहीं,
पर फिर भी उसके आने का इंतज़ार कर रहा हूँ मैं,

जो वजह थी उसकी मुझसे मोह्हबत न करने की,
वो खामियां अब तक खुद में तलाश रहा हूँ मैं,

या रब अब तो मेरा सजदा कुबूल कर,
एक मुद्दत से तेरे आगे सर झुखा रहा हूँ मैं,

देखता हूँ हर रोज़ उसको एक नए शख्स के साथ,
पर फिर उसे नजर अंदाज़ करते जा रहा हूँ मैं,

उसके लहेजे में साफ़ नजर आती है बेवफाई,
पर फिर भी उससे वफ़ा की उम्मीद कर रहा हूँ मैं,

इससे बड़ी मोह्हबत की मिसाल और क्या होगी,
की वो है बेवफा, पर फिर भी उसे वफादार कहे जा रहा हूँ मैं,

उम्र गुजर गयी, पर सबक न सीखा,
मौत दरवाजे पर है, और आशिकी किये जा रहा हूँ मैं,

मेरे लफ्जों को सिर्फ मेरी ग़ज़ल न समझना,
किसी दीवाने "शायर" की  मोह्हबत बायाँ कर रहा हूँ में........

Sunday, 14 August 2011

यूँ न बेठ फेर के नजरे....

यूँ न बेठ फेर के नजरे मुझसे,
भले मेरा दिल दुखा लेकिन कुछ बात कर..

मोह्हबत नहीं करनी तुझे चाहे न कर,
पर मेरी मोह्हबत में यूँ खामियां तलाश न कर,

पत्ता  जब टूटेगा  शाख से, तो सूख जायेगा,   
इस बात पर ज़रा गौर कर, फिर मुझसे दो पल बात कर,

ज़मी अगर नहीं ज़ज्ब करती पानी को, तो तुझे एक नया दरिया दिखा देते,
कुछ समझ मेरे जज़्बात, फिर मेरे अश्क मेरी आँखों से साफ़ कर,

अब तो तेरा हुस्न भी तुझसे रूठने लगा है,
देख अपनी आँखों के नीचे कभी आईने में,
और फिर उसी गहराई में मुझे तलाश कर,

क्यों किया मुझे तुझसे दूर, तेरे इतना करीब लाके,
की यह नजरे सिर्फ तेरे चेहरे की तलबगार हो गयीं है,
जवाब दे मेरी बात का,या फिर उठा कलम और लिख भेज ख़त में,
की "अंकित" तेरी औकाद नहीं मेरे सामने, तू अब मुझसे प्यार न कर....


Thursday, 11 August 2011

एक गाँव की गुडिया थी...

आँखों में था गहरा काजल, माथे पर छोठी बिंदिया थी,
मैंने देखी थी एक लड़की जो गाँव की गुडिया थी..

सुबह उठे और मंदिर जाती, व्रत भी वो सब करती थी,
माँ बाप के आशीर्वाद  से दिन वो अपना शुरू करती थी,
सर पर थोडा पल्लू लेकर घर से निकलती थी,
न कुछ बोले न कुछ देखे, बस अपनी धुन में चलती थी,
मैंने देखि थी एक लड़की जो गाँव की गुडिया थी..

न लाली न किसी तरह का श्रृंगार वो करती थी,
थोड़ी सी वो सांवली थी पर बहुत निखरती थी,
सुन्दर तो वो बहुत थी लेकिन घमंड न करती थी,
मैंने देखी थी एक लड़की जो गाँव की गुडिया थी..

शरमाती थी घबराती थी, पर नहीं थी इतराती,
अपनी सुन्दर बातों से वो घर को स्वर्ग बनती थी,
न बोले वो ऊँची  बोली न अपनी बातों से वो दिल को धुखाती थी,
सहज अर्थ के शब्दों से वो बात करती थी,
मैंने देखी थी एक लड़की जो गाँव की गुडिया थी..

अब ढूंढता हूँ शेहर में उस की जैसी लड़की को,
पर थक हार के खाली हाथ ही आता हूँ घर में शाम को,
लगता है पूरी दुनिया में यो एक लोती थी,
मैंने देखी थी एक लड़की जो गाँव की गुडिया थी..

Tuesday, 9 August 2011

एक शायरी सिगरेट (CIGGRATE ) के नाम.....

घर से निकलता हूँ किसी की यादों को भुलाने के लिए,
कम्भकत हाथ आ जाती है सिगरेट मेरा दिल जलने के लिए,

फिर क्या  बेठ जाता हूँ उसके साथ अपना गम बाटने,  
सिगरेट के साथ कुछ यादों भरे पल बाटने,
हर एक कश के साथ उसे याद करता हूँ,
सिगरेट के धुंए में उसे तलाश करता हूँ,
हर नए काश पर नयी बातें याद आती है उसकी,
ह़र बार के छोडे  धुंए में तस्वीर नजर आती है उसकी,

इसके सीने में भी मेरी तरह आग है, पर यह तो सबके गम बाटी है,
यह सोचकर मेरी आँख भर आती है,
जो देखता है वो कहता है की, यह तू गलत कर रहा है,
किसी को भुलाने के नाम पर एक धीमा ज़हर ले रहा है,
में कहता हूँ,
की, मोह्हबत के दिए हुए ज़हर को यह धीमा ज़हर ही ख़तम कर रहा है,
तभी तो यह नाचीज़ अपनी जिंदगी ख़ुशी से बसर कर रहा है...

Monday, 8 August 2011

अच्छा नहीं लगता.....

बिना बात के यूँ रूठ जाना अच्छा नहीं लगता,
हर बात पर यूँ चुप रहना अच्छा नहीं लगता,
तुमने जो उठाई है यह हिज्र की दीवार,
क्या इसका टूट जाना अच्छा नहीं लगता,
बात बात पे आंसू बहाने लगते हो,
क्या हमारा मुस्कुराना अच्छा नहीं लगता...

यूँ तो मशरूफ रहते हो दिनभर दूनियादारी में,
क्या  दो पल हमसे गुफ्तगू करना अच्छा नहीं लगता,
रस्म ज़माने की सारी निभाई तुमने,
क्या हमसे वफ़ा की रस्म निभाना अच्छा नहीं लगता....

निगाह झुका लेते हो हमें सामने देखकर,
क्या हमसे नजरे मिलाना अच्छा नहीं लगता,
यादें  तुम्हारी  सोने नहीं देती है रात भर,
क्या हमारा तुम्हे अपने  सपनो में देखना भी अच्छा नहीं लगता...

हर बार लहर बनकर तेरी यादें मेरे साहिल से टकरा वापिस चली जाती है,
क्या मेरा तुझमे डूब जाना भी अच्छा नहीं लगता,
तुझसे हमारी मोह्हबत ने सिर्फ वफ़ा ही की है,
पर लगता है तुझे हमारी मोह्हबत का यह कारनामा भी अच्छा नहीं लगता....



Monday, 4 July 2011

वक़्त वक़्त की बात हुआ करती है.........

वक़्त वक़्त की बात हुआ करती है,
कभी महफ़िल तो कभी तन्हाई हुआ करती है,

है हर ख़ुशी उसके जाने के बाद भी हासिल ,
पर फिर भी न जाने क्यों उसकी कमी महसूस हुआ करती है....

मोह्हबत के परिंदों से न पूछ जात उनकी,
यह सरहदें भी इनकी गुलाम हुआ करती हैं,

है दुनिया में हर जगह अँधेरा छाया हुआ,
पर शम्मा सिर्फ परवाने के लिए जलती है...

बिखर जाता है हर शक्स मोह्हबत में टूट के,
पर आशिको  की भीड़ कभी कम नहीं हुआ करती है,

मुखलूस है चाँद ही पन्ने मोह्हबत की किताब में आबादी के,
बाकि बर्बादी से तो पूरी किताब छपी होती है.....

एक सुनहरा सपना जो पूरा नहीं हो पता.......

मैं जिससे हर वक़्त मिलना चाहता हूँ,
कभी कभी वो मेरे ख्वाबों में आ जाती है,
साँझ ढलती है, चाँद निकलता है, और धीमी बारिश शुरू हो जाती है,
मैं उसके आघोष में वो मेरे आघोष में,
और हमारी गुफ्तगू शुरू हो जाती है.....

चारो तरफ सन्नाटा हो जाता है ,
मेरे कानो को सिर्फ उसकी धड़कन सुनाई देती है,
थोडा सा शर्माती है, थोडा सा घबराती है,
फिर मेरे माथे पर एक प्यारा सा चुम्बन कर,
अपना डर दूर भगाती है....

समंदर की लहरें शांत रहती है,
दीप की रौशनी जगमगाती है,
मेरे हाथों में सिन्दूर देख, उसके चेहरे पर एक चमक आ जाती है,
फिर थोडा शर्माती है , सर पर घूँघट डालती है, और मुझे निहारती है,
फिर जैसे ही अपने हाथ उसकी मांग में सिन्दूर सजाने को बढ़ता हूँ,
कम्भखत ख्वाब टूट जाता है और नींद खुल जाती है....

जिंदगी एक बार फिर तनहा हो जाती है,
उसे अपने पास न पाकर मेरे चेहरे से रौनक लौट जाती है...


Friday, 20 May 2011

कुछ बातें मेरी और उसकी (रूह से रूह की ) जुबां की नहीं ............

आज हूँ कल शायद न रहूँ, साथ अभी दे रहा हूँ कल शायद छोड़ जाऊं,
आज हस रहा हूँ तेरे संग, कल शायद तन्हाई में रोऊँ
आज याद करता हूँ तुझे, कल शायद भूल जाऊं,
आज चल रहा हूँ तेरे संग, कल शायद तनहा छोड़ कहीं चला जाऊं,
आज तुझे देखता रहता हूँ हर पल, कल शायद ख्वाबों में भी देखने को तरस जाऊं,
आज तुझसे मोह्हबत कर रहा हूँ, कल शायद तेरी दोस्ती को भी तरस जाऊं.......

( सुनकर मेरी यह बातें उसके दिल में दर्द सा उठा और कहने लगी.. )

कल तू न रहा तो तुझे खुदा से छीन लाऊँगी
तुने साथ जो छोड़ा अगर, तो में भी तेरी और खींची चली आउंगी,
तन्हाई में तू कैसे रोएगा, तेरे दिल में अपनी तस्वीर छुपा दूंगी,
तू भूलेगा मुझे अगर तो में याद बनकर फिर तेरी धडकनों में समां जाउंगी,
तनहा छोड़ने की बात न कर, में कबी तेरा साथ न छोडूंगी, नहीं तरसेगा तू मेरी दीदार को,
आँखों में बसा दूंगी अपने प्यार को, आँखें बंद करना और सामने पाना अपने यार को,

(फिर धड़कन बड़ने लगता है उसकी और आँसूं बहाते हुए कहती है )

बस तेरा यही सवाल बड़ा परेशान करता है मुझे "अंकित" यह मोह्हबत है या दोस्ती तय  करने से डरता है दिल....... 

 

Friday, 22 April 2011

Dedicated to all MOTHERS "माँ "

माँ शीतल है, माँ निर्मल  है,
माँ दौलत है, माँ शोहरत है,
माँ डूबती नईया का सहारा है,
माँ सरल स्वरुप 2 का पहाडा है,
माँ की आँखों में मुझे सारा संसार नजर आता है,
मुझे मेरी माँ में ईशवर नजर आता है....

भूकी रहकर बच्चो को ढूध पिलाये वो माँ है,
मखमली गद्दे पर सुला कर खुद ज़मीन पर सोजाए वो माँ है,
कुछ भी न कहने पर सब कुछ समझ जाये वो माँ है,
माँ चाँद है, माँ सूरज है,
माँ सितारों से भरा आकाश है,
माँ खुशनुमा फूलों से भरी वादी है,
जो हर दुःख को दूर ले जाए, मेरी माँ वो तेज आंधी है....

जिंदगी में सहनशीलता सिखाये जो वो माँ है,
आँचल में छुपाकर कड़ी धुप से बचाए वो माँ है,
बच्चो की लम्बी उम्र के लिए नंगे पैर पहाड़ चढ़ जाये वो माँ है,
अपनी हर इच्छा भुला के बच्चो की इच्छा पूरी करे जो वो माँ है,
माँ धेर्य है, माँ शांति है,
माँ अंधियारे में जलती हुई लौ के भांति है,
माँ के स्पर्श से सारा दुःख दूर हो जाता है,
मुझे मेरी माँ के आँचल में स्वर्ग नजर आता है......

माँ की आँख में कभी आंसूं न आने देना,
उसे इस दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान देना,
क्यूंकि माँ से बढ़कर इस दुनियां में कोई और नहीं है,
वो तेरी जननी है उसकी मोह्हबत का कोई मोल नहीं है..... 

Tuesday, 12 April 2011

न जाने क्यों तेरे संग.......

न जाने क्यों तेरे संग वक्त गुजारना अच्हा लगता है.....
तेरी हर ख्वाहिश को पूरा करना अच्हा लगता  है...
दिल तो बहुत है इस दुनिया में...
पर न जाने क्यों तेरे दिल पर मर मिटना अच्हा लगता है.......

न जाने क्यों तुझे हसाना अच्हा लगता है.......
तेरी एक मुस्कुराहट के लिए आंसू बहाना अच्हा लगता है.....
चेहेरे तो बहुत है इस दुनिया मैं.....
पर न जाने क्यों तेरे ही चेहेरे पर मर मिटना अच्हा लगता है.......

न जाने क्यों तेरी आँखों में डूब जाना अच्हा लगता है...
तेरी आँखों में अपनी तस्वीर देखना अच्हा लगता है..
ख़ूबसूरती तो बहुत है इस दुनिया में....
पर न जाने क्यों तेरी सादगी पर मिटना अच्हा लगता है...

न जाने क्यों तेरे करीब रहना अच्हा लगता है...
तेरी हर एक बात को सुनना अच्हा लगता है....
आवाज़ तो बहुत है इस दुनिया मैं....
पर न जाने क्यों तेरी आवाज़ पर मर मिटना अच्हा लगता है.......

और
न जाने क्यों यह दिल तुझसे दूर रहना नहीं चाहता है.....
एक पल का इंतज़ार सहना नहीं चाहता है...
इसलिए तकलीफ देते है शायद तुझको....
जब हमारा कोई सवाल बार बार तेरे पास आता है.....

Sunday, 27 March 2011

वो रात का मंजर ही कुछ अलग था.... (For AKASH BHAIYA) @dextrousworld

वो रात का मंजर ही कुछ अलग था,
वो शाम में कशिश ही कुछ अलग थी,
जिंदगी में मेरी चार चाँद लग गए थे,
जब मैंने तुझ जैसा दोस्त पाया था....

वो तेरा मुझे प्यार से छोटे बुलाना,
वो तेरा मुझे हर बात पर एक सीख देना,
वो तेरा मुझे हमेशा सताते रहना,
हर एक पल को मैंने ख़ास संजो के रख लिया है,
जिंदगी के उन पलों को मैंने फूलों की माला की तरह पीरों के रख लिया है......

वो तेरा मेरी गलतियों को नादानी समझना,
वो तेरा मेरी शरारतों  के लतीफे बनाना,
हर एक पल को सपनो से हकीकत में आते देखा है मैंने,
जो प्यार मुझे तुझसे मिला उन्हें वहीँ थाम दिया है मैंने.....

न जाने क्या गलती कर बैठा में नादान,
शब्दों से खेलना सीखा नहीं मैंने,
लगता है इसलिए तेरे दिल को दुखा बैठा में नादान,
मेरी हर गलती की सजा में भुगतना चाहता हूँ,
हर सजा मंज़ूर है बस तुझसे दूर नहीं रहना चाहता हूँ......

मुझे एक दफा फिर तू उतना ही प्यार दे,
मेरी गलतियों को फिर नादानी  समझ कर कर टाल दे..........


I AM SORRY AKASH BHAIYA (@Dextrousworld)

Friday, 4 March 2011

क्या तुझे याद है ...........

वो पहला मिलन तेरा और मेरा,
वो काली घनी रात में दूर दिखता सवेरा,
वो तेरी मेरी निग़ाहों का मिलना,
वो तेरा हया से पलके झुकाना,
वो तुझे ताकते रहते हुए मेरा मुस्कुराना,
वो तेरा अदा से पलके उठाकर, मेरी मुस्कराहट का जवाब देना,
क्या तुझे याद है वो पहला मिलन हमारा...

वो तेरा  रूठना, वो मेरा मनाना,
वो तेरा हसना, वो मेरा तुझे हस्ते हुए निहारना,
वो तेरी खुदा से मोह्हबत, वो मेरी तुझसे मोह्हबत,
वो तेरा अपनी जुल्फों को सवारना,
वो मेरा तेरी जुल्फों में छिप जाना,
वो तेरा काजल लगाना, वो मेरा तेरी आँखों से काजल मिटाना,
क्या तुझे याद है, तेरी मेरी निग़ाहों का झुकना और फिर उठ जाना.......

वो तेरी सादगी को मेरा निहारना,
वो तेरा मेरी बाहों में सिमट जाना,
वो तेरे लबो से मेरा नाम पुकारना, और वो तीन लफ्जों को सुनकर मेरा मुस्कुराना,
वो तेरा मेरे सपनो में आना,
वो मेरा तुझे अपने सपनो में देखने लिए लिए हर वक़्त अपनी आँखें बंद रखना,
क्या तुझे याद है, वो तेरा मेरा सपनो का महल बनाना ....... 

वो जिंदगी  के हसीन  पल, मुझे वापिस लौटा दे,
मुझसे मोह्हबत भले न कर, पर निगाहें तो  मिला ले,
वो पल तू फिर से याद कर कभी, अगर मेरी मोह्हबत सच्ची लगे,
तो अज फिर मेरे आग़ोश में सिमट जा अभी....




Thursday, 24 February 2011

दोस्ती (FRIENDS FOREVER..)....

एक अजीब सी हलचल मच जाती है,
जब-जब दोस्ती अपना रंग जमाती है,
कुछ नहीं दिखता जहान में,
बस दोस्त की दोस्ती नजर आती है....

सूखी आँखों में आंसू ढूंढ लेती है,
बाहरी ख़ुशी में अन्दर का गम तलाश लेती है,
जिंदगी जन्नत बन जाती है उसकी,
जिसे सच्ची दोस्ती नसीब हो जाती है...

दोस्ती का बड़ा ही अजीब रिश्ता है,
खून का न होकर भी खून के रिश्ते से बढकर होता है,
खुदा भी अपने घुटने टेक देता है,जब दोस्त की मुराद शुरू होती है,
सारी कायनात दुआ देती है,
ऐसी दोस्ती खुशनसीबों को ही नसीब होती है,

मौत भी करीब नहीं आती,
जब-जब दोस्ती दिल के नजदीक होती है,
सारे जहां की बददुआ, दुआ में तब्दील हो जाती है,
ज़िन्दगी का हर सपना सच होता नजर आता है,
दोस्त के प्यार मैं मुझे दुनिया का हर सुख नजर आता है....

दोस्त की आँखों में पिता का आत्मविश्वास,
दोस्त के स्पर्श में माँ की  ममता,
दोस्त के संग जिन्दगी में परिवार की कमी महसूस नहीं होती,
इसलिए दोस्ती इस दिल के सबसे करीब है रहती....


हम आज एक दुसरे से यह वादा करते है,
लाख दुःख आयें पर दोस्ती न तोड़ेंगे,
ज़िन्दगी की आखरी सांस तक हम एक दूजे का साथ न छोड़ेंगे......


FRIENDS FOREVER.......



तलाक (Divorce).......

शादी तो हो गई है जैसे खिलौना कोई,
मन भर जाने पर तोड़ देते है,
दुनिया भी देती है इस क्रूड़ता  मैं सबका साथ,
कानूनन लोग इसे तलाक कहते है....

सात जन्मो के रिश्ते को,
सात फीट के कटघरे मैं समेत कर रख दिया जाता है,
दो-चार दाव  पेंच खेलकर,शादी के पवित्र बंधन को,
तलाक का नाम देकर,  बड़ा  ही अजीब खिलवाड़ किया जाता जाता है.....

शादी के लिखे हुए विधि के लेख को,
चंद कागजों से चुनौती दी जाती है.
माँगा था खुदा से जिसे मन्नतों मे, 
उन  बच्चो के भविष्य से भी खिलवाड़ कर लिया जाता है...

जो चुन नहीं सकते अपना सही गलत ,
उन्हें माता, पिता  मे से एक चुनने को कहा जाता है,
जो बोल नहीं सकते अपने बारे मे खुद ठीक से,
उनको अदालत मे गवाह बनाया जाता है,
उन मासूमो की जुबान खुलवाकर तलाक का फैसला किया जाता है.....

शादी एक पवित्र बंधन है,ऐसे खिलवाड़ न करो,
सुख- दुःख   तो आते रहते है जीवन मैं,
उनको अतिथि  समझ कर सम्मान करो,
लौट जायेंगे कुछ समय बाद, जिन्दगी भर इनका साथ नहीं होता,
यही  सोचो और पवित्र बंधन शादी का सम्मान करो,
तलाक जैसे घिन्होने  पाप का न तुम भागीदार बनो,
न किसी को भागीदार बनने दो......










Monday, 21 February 2011

सौन्दर्य वर्णन एक परी का..


तेरी सादगी ही क़यामत ढा देती है,
तो तुझे सवरने की क्या जरुरत,
आँखों से ही कत्ल कर डाले तू,
तुझे खंजर की क्या जरुरत...

धरती पर रौशनी दोगुनी हो जाती है,
जब-जब तू अपनी जुल्फें हटाये,
लोग दिए  बुझा  देते है जब-जब तेरा रूप उभर कर आये,
अम्बर से देख रहे देव भी धरती की शयिया पर गोते लगाने को तरस जाये,
ऐसा रूप दिया है तुझे उस खुदा ने ,
की तू जब चाहे तो अँधेरा और जब चाहे तो उजाला हो जाये..

कजरे की  जरुरत  नहीं तेरी आँखों को,
गहराई तो इनमे समंदर से भी ज्यादा है,
हर निगाहें  तरसती है तुझसे निगाहें मिलाने को,
पर तेरी आँखों में हया ज्यादा है,
ऐसी आँखें दी है तुझे उस खुदा ने,
की कभी यह तेरी हया बन जाये तो कभी तेरी अदा बन जाये,

वो नजाकत है तेरे हसने में,
की सुनकर सारे मुरझाए फूल फिर खिल जाते है,
खेतो में सरसों क फूल लेलाह जाते है,
बादल भी बरस पड़ते है तेरी हंसी सुनकर,
दुनिया भूल जाती है अपना हर गम,
तेरी हंसी में मंत्रमुग्ध हो जाती है,
ऐसी हँसी नवाजी है तुझे उस खुदा ने,
की तू चाहे तो बारिश और चाहे तो सुखा पड़ जाये...

क्या खूब है तेरे उफ़ कहने का अंदाज़,
की हर एक दिल की धड़कन ठेर जाती है,
बिना देखे ही तुझे यह मेरी कलम न जाने तेरे लिए क्यों चल जाती है,
ऐसे अदा दी है तुझे उस खुदा ने,
तू चाहे तो जिंदगी और तू चाहे तो क़यामत आ जाये...

आवाज़ से तेरी तो कोयल भी शर्मा जाती है,
तेरी मधुर आवाज़ सुनने पर मुझ नाचीज़ की ग़ज़ल तैयार हो जाती है,
फूलों का खिलना बेमौसम होने लगता है,
बहुत शिद्द्त से तुझे उस खुदा ने बनया है अब तो हमें ऐसा लगता है,
ऐसी आवाज दी है तुझे उस खुदा ने,
की तू चाहे तो यह दुनिया ठहर  जाये ,
और तू चाहे तो इसका रंग रूप बदल जाये.....






Friday, 18 February 2011

स्वर्ण अक्षरों में देख लिखे पुराने भारत का नाम..

खोलता हूँ जब भी मैं अपनी इतिहास की किताब,
मन ही मन आकुलता से घुट जाता हूँ,
स्वर्ण अक्षरों में देख लिखे पुराने भारत का नाम,मैं उसके आगे शीश झुकाता हूँ,
पर मैं आज के भारत पर आंसू भी बहाता हूँ...

एक तरफ खुदा को देख और एक तरफ तिरंगे को देख,
कभी कभी इस असमंजस में पड़ जाता हूँ,
सर किसके सामने झुकाऊं यह तय  नहीं कर पाता हूँ,
स्वर्ण अक्षरों में देख लिखे पुराने भारत का नाम,मैं उसके आगे शीश झुकाता हूँ,
पर मैं आज के भारत पर आंसू भी बहाता हूँ...

गर्व से उठ जाता था सर मेरा,
गाँधी और नेहरु की तस्वीर देख,
अब उन्ही को दलालों  के यहाँ देख शर्म से झुक जाता हूँ,
राजनेताओं के नंगे नाच  को देखकर टूटता चला जाता हूँ,
स्वर्ण अक्षरों में देख लिखे पुराने भारत का नाम,मैं उसके आगे शीश झुकाता हूँ,
पर मैं आज के भारत पर आंसू भी बहाता हूँ...

भगत सिंह,लक्ष्मी बाई जैसे वीरो को जन्माने वाली भूमि के आगे शीश झुकता हूँ,
और सिक्को के लिए प्रेमी नेताओं का सर काटने के लिए तिलमिला जाता हूँ,
स्वर्ण अक्षरों में देख लिखे पुराने भारत का नाम,मैं उसके आगे शीश झुकाता हूँ,
पर मैं आज के भारत पर आंसू भी बहाता हूँ...

फिर आयेगा वापस वही स्वर्ण युग भारत का,
में ऐसी प्राथना करता हूँ,
समय आने पर इसको तन,मन,धन सब अर्पण करने का मैं वादा करता हूँ,
देश से राज नेताओं के रूप में गद्दारों को ख़तम करने का मैं प्रण करता हूँ.. 
स्वर्ण अक्षरों में देख लिखे पुराने भारत का नाम,मैं उसके आगे शीश झुकाता हूँ,
पर मैं आज के भारत पर आंसू भी बहाता हूँ...

जय  हिंद......वन्दे  मातरम...

Tuesday, 15 February 2011

Ham bethe hai is intzaar me...

हम बेठे हैं इस इंतज़ार में की, आज उनका कोई मोह्हबात का ऐतबार आयेगा,
फिर जो यह टुटा दिल है मुददतों के बाद फिर जुड़ जायेगा...

अहतराम - ए - मोह्हबत का सिलसिला कुछ ऐसा चलाया उन्होंने,
की थमने का नाम नहीं ले रहा,
बेफिजूल  की इस दुनिया के बहकाने से है डर रहा....

मेरा तो शीशे सा नाजुक है दिल कोई पत्थर तो नहीं,
जो हर बार बेवफाई की दीवारों  पर मारने से नहीं टूटेगा,
आखिर यह भी तो एक फूल है,
जो कभी किसी की यादों  में मुरझायेगा...

अब तो अज मेरे आघोष में समाजा,
आखिर कब तक यह नाचीज़...
तुझे अपने शेरो में याद करता रहेगा..

कर रहा है यह तुझसे एक वादा,
तेरे लाख भुलाने की कोशिशों में भी,
सपना बनकर तेरी नीदों में आयेगा,
यह तुझे इतना याद करेगा की,
हिचकियाँ लेकर तेरा जीना दुश्वार हो जएगा...

इतना तो कोई रकीब  भी नहीं सताता,
जितना तुने मुझे तडपाया है,
देखना यह एक दिन तेरे दिल में,
मेरी मोह्हबत की शमा जरूर जलेगा...

अब तो मुझे ऐसा लगता है की आज का यह प्यार भरा दिन,
फिर तेरी यादों में बीत जाएगा,
लेकिन तेरा पत्थर दिल शायद मेरी मोह्हबत नहीं समझ पायेगा...

Monday, 7 February 2011

Tujhe apne dil ka haal batun kaise

Tujhe apne dil ka haal batun kaise,
Lafz dil se to nikalte hai par unhe juban par laaun kaise,
Muddaton se maine yahi socha ki,
Tujhese mohhbat to h ,
Par izhar karun to karun kaise,
Tujhe apne dil ka haal batun kaise,
Lafz dil se to nikalte hai par unhe zuban par laaun kaise...


Dil se dil milte hai suna tha mohhabat main,
Apne dilo ke taar ko ek duje se jodun kaise,
Tune to keh diya ki mujhe mohhbat nahi h tumse,
ab fir tuhi bata tere bin jiyoon to jiyoon kaise,
Lafz dil se to nikalte hai par unhe zuban par laaun kaise...


Teri aankhon me jo sadgi hai,unse bina nazre milaun rahun kaise,
Tere hontho par hasi bina dekhe me jiyoon kaise,
Nazre to milati nahi ho hamse,to ankon se izhaar karu to karun kaise,
Lafz hotohon par aane se pehle hi bikhar jate hai,
Ab tu hi bata bina mohhabt ka izhaar kare jiyoon to jiyoon kaise....
Tujhe apne dil ka haal batun kaise,
Lafz dil se to nikalte hai par unhe zuban par laaun kaise...

Monday, 24 January 2011

Saare mausam phr aj udass ho gaye....

Aaj sare mausam phir udass ho gaye,
Aj sare phool phir murjha gaye,
lagta hai aaj phir wo kisi ko Dhoka De ke aa gaye...

Kyon wo hamse itna naraj ho gaye,
Kya badal dharti ki tapan se behak gaye,
Use bhi ab nahi hai dharti ki Beche ni ka pata,
Wo khud chaand ko chupane me mashroof ho gaye,

Samandar pani ke liye kabhi nahi tarasta,
Lekin wo kisi ki pyass nahi bhuja sakta,
main tujhe apne pyaar ka Izhaar karna to chahata hoon,
Par tujhe khone k dar se nahi kar sakta,

Main unko pyaar ke kisse sunata hoon to,
Woi khush ho jate hai,
Main unko jhooth kehta hoon to ,
Wo khush ho jate hain,
Par,jab main unhe Izhar karta hoon to,
Woh rooth jate hai,
Main unko ikraar karta hoon to,
Wo Rooth jate hai.....

Wo char pal mere saath reh sakte nahi...

Wo char pal mere saath reh sakte nahi,
Wo mujhse ankhen mila sakte nahi,
Wo rote hai mujhse bewafai kar ke,
lekin wo mujhko yeh bata sakte nahi...

Wo hamse mil bhi sakte nahi,
Wo hamse door bhi reh sakte nahi,
Maana ki majboor hai wo is samaj se,
Par wo mujhe dhoka de sakte hai to phr samaj ko kyn nahi....

Yeh duniya wale kyn samjhte nahi,
Wo pyaar karne walo ko ek hone dete kyon nahi,
Wo jante nahi ki pyaar khuda hai,
Wo mujhe usse dur kar sakte hai par merekhuda se nahi....

Aj yeh duniya bhi pyaar ko samjh gai,
Yeh duniya bhi pyaar ko khuda maan gai,
Lekin ab bhi ham khush nahi hai duniya  se
kynki, Jab wo samjhe jab wo Apni Maang me kisi aur ka Sindoor le gai...

Har waqt unke khayalo me khoye rehte.....

Ki har waqt ham unke khayalo me khoye rehte the,
Unko yaard karte karte rote the,
Unka chera hame lagne laga tha bewafa,
Yeh sochkar ham raat bhar sote na the....

Ham unko kabhi dhoka de sakte nahi,
Unki yaad me ham aansu baha sakte nahi,
Wo khuda se badhkar hai hamare liye,
Ham wafa to kar sakte hai par bewafai nahi....

Yeh aasma dharti se bewafaai kar nahi sakta,
Samandar kabhi sahil ke liye nahi tarasta ,
Yeh ashq to uske pyar ki nishani hai,
Main inkomehkane me le jake kho nahi sakta,

Woh khush rahe sada ab ham yeh dua karte nahi,
Unke gam ab ham lena chahte nahi,
Unki maut bhi hame rula nahi sakti,
Yeh mere moti hai koi paani nahi.....

Ab ham kabi pyaar na karenge...

Is dil me andhera cha gaya hai,
Ab isme ham ujala na karenge..

Unhone hame bewafaa keh diya hai,
Ab ham kabhi pyaar na karenge..

Rooth gaye hai ab to sitare bhi hamse,
Ab ham falak se kisi ko lane ki koshish na karenge...

Chaand bhi sharma jata tha mere mehboob ko dekhkar,
Ab ham chaand se bhi dosti na karenge...

Bewafai ka dard mujhme itna sama diya ki,
Ab ham maut se bhi unke liye lada na karenge...

Wo waqt ki najakat ko samajhte nahi..

Wo waqt ki najakat ko samjhte nahi,
Wo mujhe apne samne dkh sakte nahi,
Fir bi mujhe maloom h,
Wo mere bin reh sakte nahi....

Wo maut se darte h khuda s nahi,
Wo ishk ko jaroorat samjhte h zindhi nahi,
Unke pyar karne ka tarika h alag,
Wo pyar to karte h par mujhse nahi.....

Teri tasveer banata hun to ban nahi pati,
Teri maang me sindur ki kami h reh jati,
Tujhe pyar h mujhse tu yeh khna h chahti,
Par is samaj k bhram se keh nahi pati....

Unke ashq to girte h lekin sukh jate h,
Aur unko hamare ashq paani nazar h aate,
Wo jante nahi moti aur paani me antar,
Wo khud hame mehkane le jake sharrabi hai keh aate...

Aaj wo mere ashq ko moti maan gai,
Aaj wo mere pyar ko apna jaan gai,
Bas ab ek hi gila h us khuda se,
Ki jb wo aai hamse milne to hamari kabar ke darwaje kyn khulte nahi.....

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I am very sensative and emotional type of guy, and i can't live without 3 things my love,poetry,my friends.