नयी नयी सी मोह्हबत है दिलों में अभी,
अपने अल्फाजों को थोडा लगाम देना,
कब कहाँ किसका दिल बदल जाये मोह्हबत में,
हो सके तो अपनी जुबां खामोश रखना,
टूटता है दिल जब अल्फाजों से तो, जुड़ता नहीं आसानी से,
ज़रा तुम मोह्हबत निगाहों से ही करना,
कभी कभी झूठ भी कह जाते हैं यह अलफ़ाज़,
तुम गुफ्तगू भी निगाहों से ही करना,
अक्सर बहक जाते हैं लोग महकाने जाके,
सुनो, तुम नशा भी मेरी आँखों से ही करना,
लिखी जाएगी हमारी भी दास्तान ए मोह्हबत किताबों में,
फ़क़त(सिर्फ) तुम कभी यह लब हिलाने की तक्कल्लुफ़ न करना.......
अपने अल्फाजों को थोडा लगाम देना,
कब कहाँ किसका दिल बदल जाये मोह्हबत में,
हो सके तो अपनी जुबां खामोश रखना,
टूटता है दिल जब अल्फाजों से तो, जुड़ता नहीं आसानी से,
ज़रा तुम मोह्हबत निगाहों से ही करना,
कभी कभी झूठ भी कह जाते हैं यह अलफ़ाज़,
तुम गुफ्तगू भी निगाहों से ही करना,
अक्सर बहक जाते हैं लोग महकाने जाके,
सुनो, तुम नशा भी मेरी आँखों से ही करना,
लिखी जाएगी हमारी भी दास्तान ए मोह्हबत किताबों में,
फ़क़त(सिर्फ) तुम कभी यह लब हिलाने की तक्कल्लुफ़ न करना.......
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