रात के साथ दर्द हज़ार आते हैं,
तेरे साथ गुजरे पल याद आते हैं,
वो किस्से जो सिर्फ हमको मालूम थे,
अब वो ज़माने की जुबां पर आते हैं,
नुमाइश तुने की मोह्हबत की ज़माने में,
तुझको बेवफाई के सारे हुनर आते हैं,
क्यों यह तन्हाई है बेइन्ताह मोह्हबत के बाद भी,
अश्कों पर लिखे यह सवाल बार बार आते हैं,
कुछ इस तरह से उजाड़ी दिल की बस्ती तुने,
जैसे ख़ामोशी के साये में छुपे तूफ़ान आते हैं.......
तेरे साथ गुजरे पल याद आते हैं,
वो किस्से जो सिर्फ हमको मालूम थे,
अब वो ज़माने की जुबां पर आते हैं,
नुमाइश तुने की मोह्हबत की ज़माने में,
तुझको बेवफाई के सारे हुनर आते हैं,
क्यों यह तन्हाई है बेइन्ताह मोह्हबत के बाद भी,
अश्कों पर लिखे यह सवाल बार बार आते हैं,
कुछ इस तरह से उजाड़ी दिल की बस्ती तुने,
जैसे ख़ामोशी के साये में छुपे तूफ़ान आते हैं.......
No comments:
Post a Comment