Tuesday, 6 September 2011

आँसुं (रो लेने दो आज मुझे)..........

कोई ना रोको आज मुझे कह लेने दो,
जितने भी आँसुं छुपाये बेठा हूँ सब बह जाने दो,

मेरी पलकें अब नहीं सह पाती है मेरे आंसुओं का बोझ,
उसकी याद में मुझे अब जी भर के रो लेने दो,

कब से छुपाये बेठा हूँ उसके दर्द को अपनी आँखों में,
मेरी मोह्हबत की दास्ताँ अब, मेरे आंसुओं को कह लेने दो,

उसकी जिंदगी पर तो मेरा हक अब कुछ भी नहीं,
उसकी तस्वीर को तो अब मेरे आंसुओं से भिगो लेने दो,

वक़्त बेवक्त चली आती है उसकी याद,
उसकी यादों का सिलसिला अब खत्म करने दो,
मेरी आँख का आंसूं अब सूखने दो,

थक गया हूँ में अब उसका इंतज़ार करते करते,
अब मुझे दो पल चैन से जी लेने दो,

मुझे मालूम है उसपर कोई फर्क नहीं पड़ता मेरे आंसुओं का,
ए दोस्त उसको भी खुश रहने दो , और मुझे भी चैन से रो लेने दो............

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