Monday, 19 September 2011

कोई तो रोको, उसे दुल्हन बनाया जा रहा है....

कोई तो रोको, उसे दुल्हन बनाया जा रहा है,
मेरी जान के हाथों में मेहँदी का रंग सजाया जा रहा है,

जिसकी डोली उठ के आनी थी मेरे घर,
उसे मेरी आँखों के सामने किसी और को सोंपा जा रहा है,

जिसने देखे थे सपने मेरे संग मोह्हबत भरे,
उसे अब एक कोरा कागज बनाया जा रहा है,
अपनी इज्ज़त की दलील देकर उसकी जुबां खामोश कर दी उसके माँ बाप ने,
मुझको मौत की सजा और उसको जिंदा लाश बनाया जा रहा है,

न जाने किस बात पर आंसूं बहा रहें हैं सब,
उसे खुशियों का नहीं बल्कि  गमो का बाज़ार सोंपा जा रहा है,

उसकी भी विदाई है और मेरी भी,
फर्क सिर्फ इतना है की उसे डोली में और मुझे जनाज़े पर ले जाया जा रहा है....

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