कौन कहता है की वो मुझे अपना चेहरा नहीं दिखाता,
चाँद छुपा है अभी बादलों में अहिस्ता अहिस्ता है नजर आता,
कैसे कह सकते हो की वो खुश है मेरे बगैर,
काजल तो उसका है अक्सर फैला नजर आता,
वैसे तो वो मुस्कुराता है अपने दोस्तों के साथ होकर,
पर उसका दर्द मेरे अलावा कोई और नहीं है समझ पता,
मेरे दर्द की दवा है सिर्फ उसके पास,
पर उसको मेरा यूँ घुट घुट के मरना नहीं है नजर आता,
माना की उसे नहीं है मुझसे मोह्हबत,
पर इतनी सी बात पर मुझसे उससे रूठा नहीं जाता....
चाँद छुपा है अभी बादलों में अहिस्ता अहिस्ता है नजर आता,
कैसे कह सकते हो की वो खुश है मेरे बगैर,
काजल तो उसका है अक्सर फैला नजर आता,
वैसे तो वो मुस्कुराता है अपने दोस्तों के साथ होकर,
पर उसका दर्द मेरे अलावा कोई और नहीं है समझ पता,
मेरे दर्द की दवा है सिर्फ उसके पास,
पर उसको मेरा यूँ घुट घुट के मरना नहीं है नजर आता,
माना की उसे नहीं है मुझसे मोह्हबत,
पर इतनी सी बात पर मुझसे उससे रूठा नहीं जाता....
No comments:
Post a Comment