Friday, 4 March 2011

क्या तुझे याद है ...........

वो पहला मिलन तेरा और मेरा,
वो काली घनी रात में दूर दिखता सवेरा,
वो तेरी मेरी निग़ाहों का मिलना,
वो तेरा हया से पलके झुकाना,
वो तुझे ताकते रहते हुए मेरा मुस्कुराना,
वो तेरा अदा से पलके उठाकर, मेरी मुस्कराहट का जवाब देना,
क्या तुझे याद है वो पहला मिलन हमारा...

वो तेरा  रूठना, वो मेरा मनाना,
वो तेरा हसना, वो मेरा तुझे हस्ते हुए निहारना,
वो तेरी खुदा से मोह्हबत, वो मेरी तुझसे मोह्हबत,
वो तेरा अपनी जुल्फों को सवारना,
वो मेरा तेरी जुल्फों में छिप जाना,
वो तेरा काजल लगाना, वो मेरा तेरी आँखों से काजल मिटाना,
क्या तुझे याद है, तेरी मेरी निग़ाहों का झुकना और फिर उठ जाना.......

वो तेरी सादगी को मेरा निहारना,
वो तेरा मेरी बाहों में सिमट जाना,
वो तेरे लबो से मेरा नाम पुकारना, और वो तीन लफ्जों को सुनकर मेरा मुस्कुराना,
वो तेरा मेरे सपनो में आना,
वो मेरा तुझे अपने सपनो में देखने लिए लिए हर वक़्त अपनी आँखें बंद रखना,
क्या तुझे याद है, वो तेरा मेरा सपनो का महल बनाना ....... 

वो जिंदगी  के हसीन  पल, मुझे वापिस लौटा दे,
मुझसे मोह्हबत भले न कर, पर निगाहें तो  मिला ले,
वो पल तू फिर से याद कर कभी, अगर मेरी मोह्हबत सच्ची लगे,
तो अज फिर मेरे आग़ोश में सिमट जा अभी....




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