Tuesday, 15 February 2011

Ham bethe hai is intzaar me...

हम बेठे हैं इस इंतज़ार में की, आज उनका कोई मोह्हबात का ऐतबार आयेगा,
फिर जो यह टुटा दिल है मुददतों के बाद फिर जुड़ जायेगा...

अहतराम - ए - मोह्हबत का सिलसिला कुछ ऐसा चलाया उन्होंने,
की थमने का नाम नहीं ले रहा,
बेफिजूल  की इस दुनिया के बहकाने से है डर रहा....

मेरा तो शीशे सा नाजुक है दिल कोई पत्थर तो नहीं,
जो हर बार बेवफाई की दीवारों  पर मारने से नहीं टूटेगा,
आखिर यह भी तो एक फूल है,
जो कभी किसी की यादों  में मुरझायेगा...

अब तो अज मेरे आघोष में समाजा,
आखिर कब तक यह नाचीज़...
तुझे अपने शेरो में याद करता रहेगा..

कर रहा है यह तुझसे एक वादा,
तेरे लाख भुलाने की कोशिशों में भी,
सपना बनकर तेरी नीदों में आयेगा,
यह तुझे इतना याद करेगा की,
हिचकियाँ लेकर तेरा जीना दुश्वार हो जएगा...

इतना तो कोई रकीब  भी नहीं सताता,
जितना तुने मुझे तडपाया है,
देखना यह एक दिन तेरे दिल में,
मेरी मोह्हबत की शमा जरूर जलेगा...

अब तो मुझे ऐसा लगता है की आज का यह प्यार भरा दिन,
फिर तेरी यादों में बीत जाएगा,
लेकिन तेरा पत्थर दिल शायद मेरी मोह्हबत नहीं समझ पायेगा...

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