शादी तो हो गई है जैसे खिलौना कोई,
मन भर जाने पर तोड़ देते है,
दुनिया भी देती है इस क्रूड़ता मैं सबका साथ,
कानूनन लोग इसे तलाक कहते है....
सात जन्मो के रिश्ते को,
सात फीट के कटघरे मैं समेत कर रख दिया जाता है,
दो-चार दाव पेंच खेलकर,शादी के पवित्र बंधन को,
तलाक का नाम देकर, बड़ा ही अजीब खिलवाड़ किया जाता जाता है.....
शादी के लिखे हुए विधि के लेख को,
चंद कागजों से चुनौती दी जाती है.
माँगा था खुदा से जिसे मन्नतों मे,
उन बच्चो के भविष्य से भी खिलवाड़ कर लिया जाता है...
जो चुन नहीं सकते अपना सही गलत ,
उन्हें माता, पिता मे से एक चुनने को कहा जाता है,
जो बोल नहीं सकते अपने बारे मे खुद ठीक से,
उनको अदालत मे गवाह बनाया जाता है,
उन मासूमो की जुबान खुलवाकर तलाक का फैसला किया जाता है.....
शादी एक पवित्र बंधन है,ऐसे खिलवाड़ न करो,
सुख- दुःख तो आते रहते है जीवन मैं,
उनको अतिथि समझ कर सम्मान करो,
लौट जायेंगे कुछ समय बाद, जिन्दगी भर इनका साथ नहीं होता,
यही सोचो और पवित्र बंधन शादी का सम्मान करो,
तलाक जैसे घिन्होने पाप का न तुम भागीदार बनो,
न किसी को भागीदार बनने दो......
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