Friday, 18 February 2011

स्वर्ण अक्षरों में देख लिखे पुराने भारत का नाम..

खोलता हूँ जब भी मैं अपनी इतिहास की किताब,
मन ही मन आकुलता से घुट जाता हूँ,
स्वर्ण अक्षरों में देख लिखे पुराने भारत का नाम,मैं उसके आगे शीश झुकाता हूँ,
पर मैं आज के भारत पर आंसू भी बहाता हूँ...

एक तरफ खुदा को देख और एक तरफ तिरंगे को देख,
कभी कभी इस असमंजस में पड़ जाता हूँ,
सर किसके सामने झुकाऊं यह तय  नहीं कर पाता हूँ,
स्वर्ण अक्षरों में देख लिखे पुराने भारत का नाम,मैं उसके आगे शीश झुकाता हूँ,
पर मैं आज के भारत पर आंसू भी बहाता हूँ...

गर्व से उठ जाता था सर मेरा,
गाँधी और नेहरु की तस्वीर देख,
अब उन्ही को दलालों  के यहाँ देख शर्म से झुक जाता हूँ,
राजनेताओं के नंगे नाच  को देखकर टूटता चला जाता हूँ,
स्वर्ण अक्षरों में देख लिखे पुराने भारत का नाम,मैं उसके आगे शीश झुकाता हूँ,
पर मैं आज के भारत पर आंसू भी बहाता हूँ...

भगत सिंह,लक्ष्मी बाई जैसे वीरो को जन्माने वाली भूमि के आगे शीश झुकता हूँ,
और सिक्को के लिए प्रेमी नेताओं का सर काटने के लिए तिलमिला जाता हूँ,
स्वर्ण अक्षरों में देख लिखे पुराने भारत का नाम,मैं उसके आगे शीश झुकाता हूँ,
पर मैं आज के भारत पर आंसू भी बहाता हूँ...

फिर आयेगा वापस वही स्वर्ण युग भारत का,
में ऐसी प्राथना करता हूँ,
समय आने पर इसको तन,मन,धन सब अर्पण करने का मैं वादा करता हूँ,
देश से राज नेताओं के रूप में गद्दारों को ख़तम करने का मैं प्रण करता हूँ.. 
स्वर्ण अक्षरों में देख लिखे पुराने भारत का नाम,मैं उसके आगे शीश झुकाता हूँ,
पर मैं आज के भारत पर आंसू भी बहाता हूँ...

जय  हिंद......वन्दे  मातरम...

4 comments:

  1. स्वर्ण अक्षरों में देख लिखे पुराने भारत का नाम,मैं उसके आगे शीश झुकाता हूँ, मैं उसके आगे शीश झुकाता हूँ किसके सामने झुकाऊं यह तय नहीं कर पाता हूँ मैं अंकित के आगे शीश झुकाता हूँ

    Dexterous

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  2. are bhaiya yeh.....kya majak kar rahe ho....aise nahi me chotha hoon apse..meko paap lagega ...galat..

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