आज हूँ कल शायद न रहूँ, साथ अभी दे रहा हूँ कल शायद छोड़ जाऊं,
आज हस रहा हूँ तेरे संग, कल शायद तन्हाई में रोऊँ
आज याद करता हूँ तुझे, कल शायद भूल जाऊं,
आज चल रहा हूँ तेरे संग, कल शायद तनहा छोड़ कहीं चला जाऊं,
आज तुझे देखता रहता हूँ हर पल, कल शायद ख्वाबों में भी देखने को तरस जाऊं,
आज तुझे देखता रहता हूँ हर पल, कल शायद ख्वाबों में भी देखने को तरस जाऊं,
आज तुझसे मोह्हबत कर रहा हूँ, कल शायद तेरी दोस्ती को भी तरस जाऊं.......
( सुनकर मेरी यह बातें उसके दिल में दर्द सा उठा और कहने लगी.. )
कल तू न रहा तो तुझे खुदा से छीन लाऊँगी
तुने साथ जो छोड़ा अगर, तो में भी तेरी और खींची चली आउंगी,
तन्हाई में तू कैसे रोएगा, तेरे दिल में अपनी तस्वीर छुपा दूंगी,
तू भूलेगा मुझे अगर तो में याद बनकर फिर तेरी धडकनों में समां जाउंगी,
तनहा छोड़ने की बात न कर, में कबी तेरा साथ न छोडूंगी, नहीं तरसेगा तू मेरी दीदार को,
आँखों में बसा दूंगी अपने प्यार को, आँखें बंद करना और सामने पाना अपने यार को,
(फिर धड़कन बड़ने लगता है उसकी और आँसूं बहाते हुए कहती है )
बस तेरा यही सवाल बड़ा परेशान करता है मुझे "अंकित" यह मोह्हबत है या दोस्ती तय करने से डरता है दिल.......
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