मोह्हबत की है तो आंसुओं से तो खेलना ही था,
लेकिन, जिस शख्स से दिल लगाया वो इन अश्कों के काबिल न था,
बेबाक हो गए हम सारे ज़माने के सामने उसकी खातिर,
हमारी इस फितरत से उसे तो पाक होना ही था,
इतना भी ग़म सहना ठीक नहीं "अंकित",
कुछ गमो का भागिदार तो वो भी था,
ज़मीन से आसमान तक हिला दिया दुआओं से अपनी,
लेकिन वो रकीब था उसे हबीब होना ही न था,
चला गया था मेरा शहर छोड़ के, एक वक़्त बाद वापिस लौट आया,
वो बेवफा था उसे तनहा तो होना ही था,
अगर ना निकलता तू खामियां मुझमे किसी के कहने से,
तो तुझे यूँ तनहा कभी न होना था,
अब मुझे तेरी मोह्हबत की जरुरत नहीं,
मेरा दिल पाक था, मुझे किसी और का तो होना ही था.....
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