घर से निकलता हूँ किसी की यादों को भुलाने के लिए,
कम्भकत हाथ आ जाती है सिगरेट मेरा दिल जलने के लिए,
फिर क्या बेठ जाता हूँ उसके साथ अपना गम बाटने,
सिगरेट के साथ कुछ यादों भरे पल बाटने,
हर एक कश के साथ उसे याद करता हूँ,
सिगरेट के धुंए में उसे तलाश करता हूँ,
हर नए काश पर नयी बातें याद आती है उसकी,
ह़र बार के छोडे धुंए में तस्वीर नजर आती है उसकी,
इसके सीने में भी मेरी तरह आग है, पर यह तो सबके गम बाटी है,
यह सोचकर मेरी आँख भर आती है,
जो देखता है वो कहता है की, यह तू गलत कर रहा है,
किसी को भुलाने के नाम पर एक धीमा ज़हर ले रहा है,
में कहता हूँ,
की, मोह्हबत के दिए हुए ज़हर को यह धीमा ज़हर ही ख़तम कर रहा है,
तभी तो यह नाचीज़ अपनी जिंदगी ख़ुशी से बसर कर रहा है...
wow...gud 1..bt mera perception alag hai Ciggrate ke liye..kabhi likhunhi apne vichar ...
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