Sunday, 25 March 2012

वो रो रही होगी.....

मुझसे बिछुड़ के वो भी रो रही होगी,
आंसुओं से कपडे भिगो रही होगी,
बंद होगी जब वो अकेले कमरे में,
दीवारों पर मेरा नाम लिख रही होगी,
तन्हाई की उसको आदत नहीं बिलकुल भी,
मेरे ख्वाबों की ताबीर कर रही होगी,
मुद्द्तों हो गयी एक दुसरे से मुलाकात नहीं हुई,
मेरे खतों को पढ़कर अपना जी भर रही होगी,
पाक मोह्हबत है हमारी इस नापाक ज़माने में,
रो रो कर "माँ" को समझा रही होगी,
नादान है अभी थोड़ी, पागल भी प्यार में,
अपने जिस्म को वो चोट दे रही होगी,
खुद सह रही है बेहिसाब दर्द अभी,
लेकिन मेरे हिस्से ख़ुशी की दुआ कर रही होगी,
दलीलें हमारी पाक मोह्हबत के किस्सों की,
सिसक सिसक के "भाई" को सुना रही होगी,
कोई नहीं सुन रहा होगा उसकी फ़रियाद,
वो मेरे आने की राह देख रही होगी,
क्या "दर्द" ही है अंजाम मोह्हबत का,
खुदा से यह सवाल बार बार कर रही होगी,
या रब जवाब दे उसके सवाल का,
वो तेरा "नहीं" सुनने को तरस रही होगी.......

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