मेरा इश्क मंसूब-ए-वफ़ा है, यह तू क्यों नहीं समझती,
मेरी तालीम, तालीम-ए-मोह्हबत है, यह तू क्यों नहीं समझती,
खेलेगी तेरे दिल के साथ जी भर के, मुस्कुराते हुए,
मतलबी है यह सारी दुनिया, यह तू क्यों नहीं समझती,
चाहत है की तुझको छुपा के रखूं आँखों में अपनी,
बगावत के लिए तैयार है ज़माना, यह तू क्यों नहीं समझती,
जब जब तुझे देखा तब तब तेरी इबादत की है मैंने,
मेरी मोह्हबत पाक मोह्हबत है, यह तू क्यों नहीं समझती,
अब ख़त्म भी कर अपने हुस्न की नुमाइश करना महफिलों में,
पिघल जायेगा मोम की तरह हुस्न तेरा, यह तू क्यों नहीं समझती......
मेरी तालीम, तालीम-ए-मोह्हबत है, यह तू क्यों नहीं समझती,
खेलेगी तेरे दिल के साथ जी भर के, मुस्कुराते हुए,
मतलबी है यह सारी दुनिया, यह तू क्यों नहीं समझती,
चाहत है की तुझको छुपा के रखूं आँखों में अपनी,
बगावत के लिए तैयार है ज़माना, यह तू क्यों नहीं समझती,
जब जब तुझे देखा तब तब तेरी इबादत की है मैंने,
मेरी मोह्हबत पाक मोह्हबत है, यह तू क्यों नहीं समझती,
अब ख़त्म भी कर अपने हुस्न की नुमाइश करना महफिलों में,
पिघल जायेगा मोम की तरह हुस्न तेरा, यह तू क्यों नहीं समझती......
मेरा इश्क मंसूब-ए-वफ़ा है, यह तू क्यों नहीं समझती,
ReplyDeleteमेरी तालीम, तालीम-ए-मोह्हबत है, यह तू क्यों नहीं समझती,
वाह क्या बात है
वह यार आप कैसे इतने प्यारे कविता लिख लेते हो .... मेरा भी कविता देखना ..www.shabbirkumar.co.cc
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