एक उम्र गुजर दी तनहा रातों में,
नम कर दी आँखें तेरे खयालातों ने,
बिस्तर की सिलवटों ने सारे राज़ बयां कर दिए,
सोने न दिया मुझे तेरे वस्ल के सवालातों ने,
ना जाने उसकी बातों ने क्या जादू बिखेरा दिल पर,
की मोह्हबत करा दी उनसे दो रोज की मुलाकातों ने,
उसके होंठों पर चमक रही थी मोती की तरह बूँदें,
क़यामत ढा दी थी उन धीमी धीमी बरसातों ने.......
नम कर दी आँखें तेरे खयालातों ने,
बिस्तर की सिलवटों ने सारे राज़ बयां कर दिए,
सोने न दिया मुझे तेरे वस्ल के सवालातों ने,
ना जाने उसकी बातों ने क्या जादू बिखेरा दिल पर,
की मोह्हबत करा दी उनसे दो रोज की मुलाकातों ने,
उसके होंठों पर चमक रही थी मोती की तरह बूँदें,
क़यामत ढा दी थी उन धीमी धीमी बरसातों ने.......
No comments:
Post a Comment