Sunday, 25 March 2012

तेरे साथ गुजारने को एक रात मिल जाये,.....

तेरे साथ गुजारने को एक रात मिल जाये,
चाँद को जलाने के लिए तेरा रुखसार मिल जाये,
यह जो जाम बात करता है मदहोशी की बार बार,
जवाब देने को इसे, तुझसे मेरी निगाहें मिल जाये,
बहुत खुश होती है यह हवा अँधेरा करने पर,
तेरे चेहरे के चिराग से उलझे तो इसे पता चल जाये,
जब तू चले बलखाते हुए ज़मीन पर,
तो फलक ज़मीन से बेहिसाब जल जाये,
जब तू अंगडाई ले अपने शबिस्तान मे कभी कभी,
तो बहार तेरे घर में आने को मचल जाये,
कुछ इतनी खूबसूरत बनावट है उसके बदन की "अंकित",
की जिससे लिपटे वो,उसे जन्नत मिल जाये.......

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