तेरे आने की आस में जागी रात भर,
यह आँखें भीगी रही रात भर,
न तुम आये ना आया कोई ख़त तुम्हारा,
बेफिजूल में ना नींद आई रात भर,
नींद से बद्तमीज़ी न करते तो ही अच्छा होता,
यूँ आँखें तो न सूजी होती रात भर,
तू तो सिमटा रहा किसी और की बाँहों में,
और मैं करवटे बदलता रहा रात भर,
देख सूजी आँखें और सिलवटें बिस्तर की,
माँ भी पूछ बेठी, बेटा सोया नहीं क्या रात भर......
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