Sunday, 1 January 2012

सेहर होते ही सर को झुखना पड़ता है.......

रात है तो रात ही रहने दो,
अँधेरे में गरीब को सुकून मिलता है,

रात के अँधेरे में छुप जाता है मुल्क मेरा,
उजाले में हर शख्स को चिथड़ो का जवाब देना पड़ता है,

रात के वक़्त तान खड़ा रहता है सीना,
सेहर होते ही सर को झुखना पड़ता है,

मोह्हबत है अँधेरे से मेरे मुल्क को,
उजाले में तो हर एक शख्स इसे किसी का गुलाम लगता है,

छुपा लेता है अँधेरे में अपने अश्क,
उजाले में मुल्क मेरा आँखें खोलने से डरता है......    

No comments:

Post a Comment

About Me

My photo
I am very sensative and emotional type of guy, and i can't live without 3 things my love,poetry,my friends.