Wednesday, 18 January 2012

मेरा यह दिल भी मुझे अब पराया सा लगता है.....

जब जब कोई निगाहों से बात करता है,
क़यामत का मंजर सामने आने लगता है,

न जाने क्यों पूछती है मोह्हबत वोही सवाल,
जिसका जवाब तलाशने में ज़माना लगता है,

हर वो शख्स दुश्मन नजर आता है मुझे,
जो मेरे "शेर-ए-दर्द-ए-मोह्हबत" पर वाह वाह करता है,

फ़क़त एक शख्स न मिला तो धड़कना नहीं चाहता,
मेरा यह दिल भी मुझे अब पराया सा लगता है,
आखिर किसे पूछें हम अंजाम-ए-मोह्हबत "अंकित",
मोह्हबत के नाम पर हर शख्स आँसूं बहाने लगता है......

No comments:

Post a Comment

About Me

My photo
I am very sensative and emotional type of guy, and i can't live without 3 things my love,poetry,my friends.