Wednesday, 28 December 2011

आँखें.......

कुछ तो कम कर दे यह वक़्त इंतज़ार का,
की तेरे दीदार को गयी हैं मेरी आँखें,

आखिर कब तुझे अपनी आँखों में देखूं आईने के सामने,
तड़प रहीं हैं तुझे सामने देखने को मेरी आँखें,

ना जाने सुकून की नींद कबसे नहीं ली मैंने,
एक अरसे से सूजी हुई है मेरी आँखें,

है हर ख़ुशी हर दोस्त मेरे आस पास,
पर फिर भी तेरा ही ख्वाब बुनती हैं मेरी आँखें,

अब और नहीं होता यह इंतज़ार मुझसे,
की तेरी याद में भर आयीं मेरी आँखें,

दो पल के लिए आ लेकिन तू मिलने आ,
की तुझे देख फिर से चमक उठे मेरी आँखें......

Tuesday, 27 December 2011

तुझको बेवफाई के सारे हुनर आते हैं.....

रात के साथ दर्द हज़ार आते हैं,
तेरे साथ गुजरे पल याद आते हैं,

वो किस्से जो सिर्फ हमको मालूम थे,
अब वो ज़माने की जुबां पर आते हैं,

नुमाइश तुने की मोह्हबत की ज़माने में,
तुझको बेवफाई के सारे हुनर आते हैं,

क्यों यह तन्हाई है बेइन्ताह मोह्हबत के बाद भी,
अश्कों पर लिखे यह सवाल बार बार आते हैं,

कुछ इस तरह से उजाड़ी दिल की बस्ती तुने,
जैसे ख़ामोशी के साये में छुपे तूफ़ान आते हैं.......

Monday, 26 December 2011

आखिर में तुझसे बेपानाह प्यार जो करता हूँ......

सेहर हो या शाम में तुझे ही याद करता हूँ,
में तन्हाई से सिर्फ तुम्हारी ही बात करता हूँ,

लबों पर आते आते क्यों रुक गयी दिल की बात,
दिल से यह सवाल बार बार करता हूँ,

आखिर क्यों न समझ सका तू मेरी खामोश जुबां,
में तुझको नहीं अपनी नजरो को गुन्हेगार करता हूँ,

जुल्म मोह्हबत एकतरफा करने का है,
में खुद के लिए सजा ए तन्हाई मुक़र्रर करता हूँ,

तेरे सिवा कोई और चाहत नहीं इस कायनात में मेरी,
अब तू नहीं, तो में मौत की दावत आज करता हूँ,

दुआ है मेरी तू खुश रहे, चाहे किसी और की बाँहों में,
आखिर में तुझसे बेपानाह प्यार जो करता हूँ...... 

Tuesday, 20 December 2011

"शायरी".

खामोश जुबां की अलफ़ाज़ है शायरी,
बिछड़ी मोह्हबत की याद है शायरी,

आँखों में छुपा अश्क है शायरी,
आशिक के दिल का दर्द है शायरी,

नाकाम इश्क की धड़कन है शायरी,
बेवफा को बावफा कहने का नाम है शायरी,

टूटे दिल के जख्म की मरहम है शायरी,
निक्कमे दिल का काम है शायरी,

आवारा जिस्म की रूह है शायरी,
सनम के सितम का जवाब है शायरी,

पाक मोह्हबत की किताब है शायरी,
दास्ताँ ए मोह्हबत का आखिरी पन्ना है शायरी,

अलफ़ाज़ ए मोह्हबत की रूह है शायरी,
जज्बातों का हुजूम है शायरी....

पूरी कायनात में तुझसे खूबसूरत कुछ भी नहीं.......

ना आसमान ना सितारे और ना यह चाँद,
पूरी कायनात में तुझसे खूबसूरत कुछ भी नहीं,

महकाने की बात करूँ या करूँ शराब की,
जो सुरूर तेरी आँखों में है, वो सुरूर कहीं भी नहीं,

पायल की रुनझुन हो या फिर कंगन की खनक,
जो मोह्हबत तेरी ख़ामोशी में है, वो कहीं भी नहीं, 

अंदाज़ ए हूर हो या फिर नूर ए चाँद,
जो सादगी तेरे चेहरे में है वो कहीं भी नहीं,

काली सी घनी रात हो या फिर कोई चांदनी रात,
तेरी जुल्फों के सायें से खूबसूरत कुछ भी नहीं,

बहारों का मौसम हो या फिर किसी कलि का खिलना,
तेरे लहजे से मासूम इस जहाँ में कुछ भी नहीं.......




Sunday, 18 December 2011

ज़रा तुम मोह्हबत निगाहों से ही करना.......

नयी नयी सी मोह्हबत है दिलों में अभी,
अपने अल्फाजों को थोडा लगाम देना,

कब कहाँ किसका दिल बदल जाये मोह्हबत में,
हो सके तो अपनी जुबां खामोश रखना,

टूटता है दिल जब अल्फाजों से तो, जुड़ता नहीं आसानी से,
ज़रा तुम मोह्हबत निगाहों से ही करना,

कभी कभी झूठ भी कह जाते हैं यह अलफ़ाज़,
तुम गुफ्तगू भी निगाहों से ही करना,

अक्सर बहक जाते हैं लोग महकाने जाके,
सुनो, तुम नशा भी मेरी आँखों से ही करना,

लिखी जाएगी हमारी भी दास्तान ए मोह्हबत किताबों में,
फ़क़त(सिर्फ) तुम कभी यह लब हिलाने की तक्कल्लुफ़  न करना.......   

Friday, 9 December 2011

रोने से बेवफा सनम लौट कर आता नहीं....

दीदार ए यार का नशा उतरता नहीं,
और वक़्त उन्हें हमसे मिलने का मिलता नहीं,

बहुत मशरूफ हैं वो अपनी महफिलों में,
की अब तनहा खड़ा "अंकित" उन्हें दीखता नहीं,

उसको होती अगर तेरी फिकर ज़रा भी,
तू तुझे यूँ रोता देख वो मुस्कुराता नहीं,

खता तुने ही की अपनी मोह्हबत में,
हद से ज्यादा न चाहता तो वो बेवफा होता नहीं,

लाख समझाया तुझे लेकिन तू न माना,
की हर खूबसूरत चेहरा वफादार होता नहीं,

अब आंसूं पोंछ और मुस्कुरा उसे देखकर,
रोने से बेवफा सनम लौट कर आता नहीं....

Thursday, 8 December 2011

तू ही तू तू ही तू.....

दर्पण दर्पण पूछ रहा है, मुझसे अब मेरा वजूद,
उसको कैसे समझाऊँ में, मेरे नस नस में है तू,
भूल गया में खुद को जबसे, चाहा है मैंने तुझको,
धड़कन से लेकर आँखों तक, बस तू ही तू तू ही तू,

चल पड़ा हूँ उस रास्ते,जिसकी न कोई मंजिल है,
किसको मोह्हबत में हासिल, हुई बोलो ख़ुशी है,
कैसे दिखलाऊँ में तुझको रंग अपनी चाहत का,
मेरे रग रग में तो है, बस तू ही तू तू ही तू,

सजदे किये लाखों मैंने मंदिर मस्जिद जा जाके,
लौट आया लेकिन खाली हाथ रोते गाते,
जबसे तुझको पूजा मैंने, हर ख़ुशी हासिल हुई,
अब से मेरा खुदा है, बस तू ही तू तू ही तू.....

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