Tuesday, 14 February 2012

हम तो तेरे होंठों को चूमने की चाहत करतें हैं.......

दिल से उनका एहसास करतें हैं,
आईने में उनका दीदार करतें हैं,

वो दूर है मुझसे तो क्या हुआ,
ख्वाबों में उनसे मुलाकात करतें हैं,

मालूम है की बहुत तडपा है वो पेड़ पानी के लिए,
हम उसके लिए आंसुओं की बरसात करतें हैं,

हमको फिकर उनकी खुद से ज्यादा रहती है,
जलाते है घर अपना, और रोशन उनका करतें हैं,

इश्क में क्या खोना और क्या पाना,
मुनाफे के सोदे में सोचा नहीं करतें हैं,

मुझसे मत पूछ ख्वाहिश मेरी, पछताएगी,
हम तो तेरे होंठों को चूमने की चाहत करतें हैं,

कुछ ऐसी बनावट है उसके बदन की "अंकित",
करना कुछ और चाहते हैं, लेकिन कुछ और करतें हैं........ 

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